Friday, October 6, 2017

विजयनगर साम्राज्य ( संगम वंश )

विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 में हरिहर एवं बुक्का नामक दो भाइयों ने की थी जो पांच भाइयों के परिवार के अंग थे ।

विजय नगर का शाब्दिक अर्थ -जीत का शहर

हरिहर एवं बुक्का ने विजय नगर की स्थापना विद्यारण्य संत से आशीर्वाद प्राप्त करके की थी ।

हरिहर एवं बुक्का ने अपने पिता संगम के नाम पर संगम राजवंश की स्थापना की।

विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हंपी थी विजयनगर साम्राज्य के खंडहर तुंगभद्रा नदी पर स्थित हैं जिनकी राजभाषा तेलगु थी।

हरिहर एवं बुक्का पहले वारंगल के काकतीय शासक  प्रताप रुद्रदेव के सामंत थे ।

विजयनगर साम्राज्य क्रमश: निम्न वंशो ने शासन किया-
(1) संगम
(2)सलुब
(3)तुलुब
(4)अरावीडू

बुक्का प्रथम ने वेद मार्ग प्रतिष्ठापक की उपाधि धारण की ।
हरिहर द्वितीय ने संगम शासकों में सबसे पहले महाराजाधिराज की उपाधि धारण की ।

इटली यात्री निकोलो कांटी विजयनगर की यात्रा पर देवराय प्रथम के शासनकाल में आया ।

देवराय प्रथम में तुंगभद्रा नदी पर एक बांध बनवाया था कि जल की कमी को दूर किया जा सके सिंचाई के लिए उसने हरिद्र नदी पर बांध बनवाया ।

संगम वंश का सबसे प्रतापी राजा देवराय द्वितीय था जिसे इमाडिदेवराय भी कहा जाता है ।

फारसी राजदूत अब्दुल रज्जाक देवराय द्वितीय के दरबार में आया था।

प्रसिद्ध तेलुगु कवि श्रीनाथ कुछ दिनों तक देवराय द्वितीय के दरबार में रहे।

फरिश्ता के अनुसार देवराय  ने अपनी सेना में 2000 मुसलमानों को भर्ती किया था और उन्हें जागिरे दी थी।

एक अभिलेख में देवराय द्वितीय को जगबेटकर (हाथियों का शिकारी )कहा गया है ।

देवराय द्वितीय ने संस्कृत ग्रंथ महानाटक सुधानिधि एवम ब्रह्म सूत्र पर भाष्य लिखा।

मल्लिकार्जुन को पौढ़ देवराय भी कहा जाता है।

सालुब नरसिंह ने विजय नगर में दूसरे राजवंश सालुब वंश की स्थापना की।

सालुब वंश के बाद विजयनगर पर तुलुव वंश का शासन स्थापित हुआ ।

तुलुब वंश 1505 से 1565 तक चला इसकी स्थापना वीर नरसिंह ने की थी।

तुलुब वंश का महान शासक कृष्णदेव राय था वह 8 अगस्त 1509 को शासक बना।

सालुब तिम्मा कृष्णदेवराय का योग्य मंत्री एवं सेनापति था ।

बाबर ने अपनी आत्मकथा बाबरनामा में कृष्णदेवराय को भारत का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक बताया था।

कृष्णदेव राय के शासनकाल में पुर्तगाली यात्री डोमिगोस पायस विजयनगर आया था ।

कृष्ण देवराय के दरबार तेलुगु साहित्य के 8 सर्वश्रेष्ठ कवि रहते थे जिन्हें अष्टदिग्गज कहा जाता था।

उस के शासनकाल को तेलुगु साहित्य का क्लासिक युग कहा गया है

कृष्ण देवराय ने तेलुगु में अमुक्तमाल्याद एवं संस्कृत में जाम्बवती कल्याणम की रचना की।

पांडुरंग महात्माय की रचना तेनालीराम रामकृष्ण ने की थी ।

नागलपुर नामक नए नगर,  हजारा एवं विट्ठल स्वामी मंदिर का निर्माण कृष्ण देवराय ने किया।

कृष्ण देवराय  की मृत्यु 1529 में हो गई।

कृष्णदेवराय ने आंध्र भोज , अभिनव भोज, आंध्र पितामह की उपाधि धारण की थी।

तुलुव वंश का अंतिम शासक सदाशिव था।

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